परशुराम कैवर्त
बसना / गढ़फुलझर गढ़ जो बसना अंचल का एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। जहां प्राकृतिक सौंदर्यता से घिरे हुए तालतलैया है जो कभी आदिवासी राजाओं का एक अभेद्य किला था । इस स्थान पर आदिवासी गोंड समाज अपने इष्टदेव बूढ़ादेव देवालय निर्माण लगभग पाँच वर्षों से चल रहा है जो अंतिम चरण में हैं जहां समाज के लोगों ने इस अवसर पर बुधवार को बैशाख अमावस्या के दिन महापूजन तथा कुंभ भराई का खास आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम सुबह 7 बजे शुरू होकर संध्याकालिन तक समापन हुआ । इस आयोजन में समाज के बच्चों द्वारा करमा सुआ तथा रिकार्डींग डांस द्वारा रंगारंग प्रस्तुति दी गई तथा कार्यक्रम में मंच संचालन शंकर सिंह सिदार जी ने किया ।
फूलझर राज गोंड समाज के निर्माणाधीन
बुढ़ादेव देवालय निर्माण समिति गढ़फुलझर पुरखा शक्ति के प्राचीन परम्परा को जीवन्त रखते हुए ईष्ट देव छत्रपति श्री बुढ़ादेव गढ़ शक्ति देवी देवताओं के आशीर्वाद प्राप्त करने हेतु कुंभ भराई महापूजन महोत्सव का आयोजन हुआ उक्त देवालय स्थल में सर्वप्रथम ईष्ट देव बुढ़ा देव का पूजा अर्चना कर प्रकृति शक्ति और धनई कोदई दाई आवाहन कर कुंभ भराई का कार्य शुरू किया गया।
जिसमें सैकड़ों की तादात में श्रद्धालु सम्मिलित होकर अष्टधातु, अन्न दान किए।
महापूजा में सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा गया तथा सभी श्रद्धालुजनों ने महाभंडारा में सामुहिक प्रसाद ग्रहण किया ।
इस अवसर पर बुढ़ा देव देवालय निर्माण कार्य के समिति संरक्षक – श्री बरत राम नागेश, अध्यक्ष – श्री मुन्नू सिंग जगत, उपाध्यक्ष श्री महेश सोम सचिव – श्री यज्ञ राम सिदार सहसचिव – श्री परमानन्द नागेश कोषाध्यक्ष- श्री गणेश सिदार महिला प्रभाग में सत्यभामा नाग जनपद अध्यक्ष पिथौरा ,,नोविना जगत सदस्य जिला पंचायत सदस्य के साथ
श्रीमती सुशीला मलिक –
ग्राम पंचायत गढ़ फूलझर के सरपंच उपस्थित रहे।
कार्यकारिणी सदस्य – उदल पोर्ते,पाण्डव नाग,चन्दर साय सिदार,शांति लालसाय सिदार, बंशीधर सिदार, महेश सिदार, भुनेश्वर नेताम,जोगी सिंग जगत, कल्याण नागेश, मालिक राम नाग, शुभ सिंह जगत, मोहन सिदार, कुभेर सिंग नेताम, करतार सिंग जगत, कमल नेताम, निरंजन नाग, सरजू लाल सिदार, कार्तिक राम नेटी, चंद्रशेखर सिदार,शिवलाल बाघ,अहिवन पोर्ते , करम सिंग जगत , अशोक पोर्ते ,राजेन्द्र सिदार,टाकेन्द्रराय एवं हजारों की संख्या समाज के महिलाओं ,पुरूषों व युवा वर्ग तथा बच्चे भी शामिल हुए तथा बूढ़ादेव की पूजा अर्चना कर आशिर्वाद लिया ।