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युवा पत्रकार एवं विचारक कुलदीप दुबे की नई रचना “जमाने से आगे चल पड़े है हम”पढ़िए शिखर न्यूज़ छत्तीसगढ़ पर
बसना:
“जमाने से आगे चल पड़े है हम”
गजब की राह पर चल पड़े है हम
जमाने से आगे चल पड़े है हम
क्या जवानी क्या बुढापा बचपन की बात अब और है निराला
सब के रंग बदलने चले है हम
जमाने से आगे चल पड़े है हम
एक जमाना बचपन का मैदान में खेला करता था
अब जमाना बचपन का मोबाईल पे जिया करता है
एक जमाना जवानी सरहद में सोया करता था
अब जवानी नशे के बिस्तर में सोया करता है
सिर्फ एक पीढ़ी से नही बदले है हम
जमाने से आगे चल पड़े है हम
सोच में हर किसी ने यह सोच लिया
हर पीढ़ी पहले से कितना बदल गया
हर पीढ़ी के बदले सोच से बदले है हम
जमाने से आगे चल पड़े है हम
कुलदीप दुबे
कुदरीबाहरा( बसना)
9131012660